BECHAINKESHER
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Tuesday 17 January 2017
Monday 2 January 2017
Tuesday 22 November 2016
मेरी आँखों से वो मंज़र क्यूँ दूर नही जाता
मेरी आँखों से वो मंज़र क्यूँ दूर नही जाता
तुम्हारे कदमों में हमने जब टेका था माथा
हमारी बेवकूफी थी या चाहत का था पागलपन
तुम्हे जब मान बैठे थे अपना भाग्य विधाता
तुम्हारे कदमों में हमने जब टेका था माथा
हमारी बेवकूफी थी या चाहत का था पागलपन
तुम्हे जब मान बैठे थे अपना भाग्य विधाता
Tuesday 5 March 2013
देखता हूँ कब तक मेरी ख़ुशी बनकर रहोगे
देखता हूँ कब तक मेरी ख़ुशी बनकर रहोगे
कब तक हवा बनकर मेरी सांसो में बहोगे
मजाक है तो अभी से कदम हटा लो पीछे
बाद में वरना तुम भी मुझे बेवफा कहोगे
कब तक हवा बनकर मेरी सांसो में बहोगे
मजाक है तो अभी से कदम हटा लो पीछे
बाद में वरना तुम भी मुझे बेवफा कहोगे
Thursday 8 March 2012
तुम्हारी नाक पर गुस्सा क्यूं हर वक्त रहता है
तुम्हारी नाक पर गुस्सा क्यूं हर वक्त रहता है
मुझे लेकर तेरा लहजा बड़ा ही सख्त रहता है
मुझे सचमुच में खो दोगी एक दिन सच्ची कहता हूँ
तुम्हारी बेरुखी से तंग तुम्हारा भक्त रहता है
*********************************************
जो सच में प्यार है मुझसे तो इतना क्यूं चिल्लाती है
मेरी हर बात के पीछे तू शक काहे जताती है
हजारों बार बोला है नही तुझको दगा दूंगा
मेरे विश्वास की धज्जी तू पल पल क्यूं उड़ाती है
*********************************************
नही मुझ पर यकीं तुझको तो चल इक काम करता हूँ
कलम करके मेरा ये सर तेरे कदमों में धरता हूँ
तुम्हारे इक इशारे पर तबाह खुद को मैं कर लूँगा
नही बेकार में तेरे लिए मैं आहें भरता हूँ
*/*********************************************
ना जाने क्यूं तुझे मुझ में अब शराफत नही दिखती
तुम्हारी आँख में पहले सी वो चाहत नही दिखती
तुम्हे ही सोचता रहता हूँ उठते बैठते जानम
इन दिनों रूह तडफती है कही राहत नही दिखती
************************************************
मुझे नाराज होना ही अगर आता तो बतलाता
तडफ का झोंका जुदाई में तुम्हारी और भिजवाता
अगर आंसू भी आते तो मैं कहता लोगों से हंसकर
घरेलू मसला है यारों नही है इश्क का खाता
मुझे लेकर तेरा लहजा बड़ा ही सख्त रहता है
मुझे सचमुच में खो दोगी एक दिन सच्ची कहता हूँ
तुम्हारी बेरुखी से तंग तुम्हारा भक्त रहता है
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जो सच में प्यार है मुझसे तो इतना क्यूं चिल्लाती है
मेरी हर बात के पीछे तू शक काहे जताती है
हजारों बार बोला है नही तुझको दगा दूंगा
मेरे विश्वास की धज्जी तू पल पल क्यूं उड़ाती है
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नही मुझ पर यकीं तुझको तो चल इक काम करता हूँ
कलम करके मेरा ये सर तेरे कदमों में धरता हूँ
तुम्हारे इक इशारे पर तबाह खुद को मैं कर लूँगा
नही बेकार में तेरे लिए मैं आहें भरता हूँ
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ना जाने क्यूं तुझे मुझ में अब शराफत नही दिखती
तुम्हारी आँख में पहले सी वो चाहत नही दिखती
तुम्हे ही सोचता रहता हूँ उठते बैठते जानम
इन दिनों रूह तडफती है कही राहत नही दिखती
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मुझे नाराज होना ही अगर आता तो बतलाता
तडफ का झोंका जुदाई में तुम्हारी और भिजवाता
अगर आंसू भी आते तो मैं कहता लोगों से हंसकर
घरेलू मसला है यारों नही है इश्क का खाता
Friday 21 October 2011
क्यूं
क्यूं हर वक्त खुले रहते हैं गेसू तुम्हारे
किसके लहू से धोने की कसम खाई हैं
सब बयाँ कर दिया हैं बोझिल आँखों ने
शायद आपने न सोने की कसम खाई हैं
किसके लहू से धोने की कसम खाई हैं
सब बयाँ कर दिया हैं बोझिल आँखों ने
शायद आपने न सोने की कसम खाई हैं
Friday 16 September 2011
पैराहन नही सोच है शान मुफलिसी की
13
जो जानते है हकीकत में हाल मुफलिसों का
उठाते है सरे बज़्म वो सवाल मुफलिसों का
दिलाकर ही छोड़ते है हक परस्तों को हक
रखते है जो अक्सर ख्याल मुफलिसों का
14
पैराहन नही सोच है शान मुफलिसी की
रखियेगा पास सदा आन मुफलिसी की
अमीरी का लबादा ओढने वालों सुनों
बातों में छिपी है पहचान मुफलिसी की
15
मुफलिसों का इतना ही कसूर होता है
बनावटी पन उनसे थोडा दूर होता है
नही बहा पाते मगरमच्छ के आंसूं
दिल उनका मजबूरियों से चूर होता है
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