क्यूं हर वक्त खुले रहते हैं गेसू तुम्हारे
किसके लहू से धोने की कसम खाई हैं
सब बयाँ कर दिया हैं बोझिल आँखों ने
शायद आपने न सोने की कसम खाई हैं
किसके लहू से धोने की कसम खाई हैं
सब बयाँ कर दिया हैं बोझिल आँखों ने
शायद आपने न सोने की कसम खाई हैं
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