10
कौम ओ- मजहब की सोचने वाले
होते है तन के उजले मन के काले
कितना ही यकीन कीजिये इन पर
नही बदलते है ये व्यवहार में साले
11
मेरा कल मेरे आज की आस में है
फिर मुझसे जुड़ने के प्रयास में है
मन का कच्चापन कहीं लें ना डूबे
फिर धडकने रूह के विश्वास में है
12
सोचोगे जैसा वैसे पेश आता है गम
हर शख्स को यही समझता है गम
दिल से ना लगाओ हर बात दोस्तों
वरना उम्र को चाव से खाता है गम
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