Saturday 10 September 2011

मैं पहली ही अंगड़ाई में उसे सब बताऊंगा



7
मुझे यूं देखते है जैसे देखते नही 
नजर मेरी हालत पर फैंकते नही
इसे उनकी अदा कहूं या बेरुखी
जख्म देकर वो कभी सेंकते नही
8
दिल और दिमाग को घायल कर दे तो अच्छा
ये इश्क मुझको यारों पागल कर दे तो अच्छा
गर्मी ए हिज्र अब और ज्यादा सहन नही होती
बरसु खुदा पलकों को बादल कर दे तो अच्छा
9
क्या-क्या हुआ जुदाई में उसे सब बताऊंगा
यारों रात की तन्हाई में उसे सब बताऊंगा
महबूब से आखिर क्या छुपाऊंगा कब तक
मैं पहली ही अंगड़ाई में उसे सब बताऊंगा



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